विश्वनाथ कॉरिडोर हादसा : बाबा का रजत सिंहासन दूसरे दिन भी मलबे से नहीं निकल सका
विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर एरिया में हुए हादसे के बाद दूसरे दिन भी बाबा का रजत सिंहासन मलबे में दबा रहा। बुधवार को पूर्व महंत कुलपति तिवारी के आवास का एक हिस्सा ध्वस्त होने से उसमें रखा रजत सिंहासन मलबे में दब गया था। इसी सिंहासन पर पंच बदन के साथ रंगभरी एकादशी पर बाबा की पालकी यात्रा निकाली जाती है। हादसे में पंच बदन प्रतिमाएं सुरक्षित हैं और उन्हें मंदिर के गेस्ट हाउस में रखवा दिया गया है। हादसे के दूसरे दिन मलबा हटाने की जगह महंग आवास के खतरनाक ढंग से हवा में लटके हिस्सों को गिराया गया। एनडीआएफ के साथ खासतौर पर प्रशिक्षित मजदूरों की टीम ने पूरे एहतियात के साथ भवन के खरतनाक हिस्से को गिराया।
बुधवार की सुबह करीब छह बजे अचानक महंत आवास का दक्षिणी हिस्सा गिरने के कारण वहां रखी बहुत सी मूल्यवान वस्तुएं मलबे में दब गई थीं। उन वस्तुओं पर गुरुवार को गिराए जा रहे भवन के मलबे का भार न पड़े इसके खास इंतजाम एनडीआरफ की टीम ने किए थे। पहले से गिरे मलबे पर तीन तरफ से हार्ड नेट लगा दी गई थी।
प्रशिक्षित मजदूरों द्वारा ध्वस्तीकरण के दौरान निकलने वाला मलबा इसी नेट पर गिर रहा था। हर थोड़ी थोड़ी देर पर तोड़-फोड़ रोक कर नेट से मलबा हटा लिया जा रहा था। हालांकि इस दौरान भी महंत आवास से कुछ ही दूर कॉरिडोर एरिया में हेवी मशीनों का इस्तेमाल भी जारी था। वर्तमान में चंद्रगुप्तेश्वर महादेव कहे जा रहे शिवालय के निकट हाई पावर मशीन के इस्मेमाल से एडवांस बोरिंग की जा रही थी।
इस दौरान भवन के दूसरे हिस्से में रखे सामान को सुरक्षित स्थिति में भी किया गया। 24 जनवरी की सुबह कुछ और हिस्सों को ध्वस्त करने के बाद पहले से गिरा मलबा हटाया जाएगा। इस दौरान एनडीआरएफ के जवान मौके से दूर अपने अधिकारियों को वीडियो कॉलिंग के जरिए लाइव अपडेट भी देते रहे।
उल्लेखनीय है कि बुधवार की सुबह भवन के अचानक गिर जाने के कारण मंदिर की परंपरा से जुड़े कई प्राचीन प्रतीक मलबे में दब गए थे। भवन के उस हिस्से में रखा बाबा का साढ़े तीन सौ वर्ष प्राचीन करीब दौ सो किलो का रजत सिंहासन, रजत छत्र,रजत झूला, रजत जड़ित प्राचीन पालकी सहित बाबा विश्वनाथ की चल प्रतिमाओं के साज-शृंगार और तामझाम में प्रयुक्त होने वाले आभूषण, उपकरण मलबे में दब गए। बाबा की दो पंचबदन, शिव,पार्वती, गणेश, अर्द्धनारीश्वर,दुर्गा की रजत प्रतिमाएं और कुंभक्षेत्र में प्रतिष्ठित किया जाने वाला रजत शिवलिंग क्षतिग्रस्त होने से बाल-बाल बचा था।